क्रिया क्या होती है? इसके प्रकार और उदाहरण सहित सम्पूर्ण जानकारी |
नमस्कार दोस्तों | क्या आपका भी यही सवाल है की क्रिया का होती ? Kriya क्रिया किसे कहते है ? क्रिया के कितने प्रकार होते है?
आपने कई वेबसाइटों पर क्रिया के बारे में पढ़ तो लिया लेकिन आपको अभी तक तो यह समझ में नहीं आया की क्रिया आख़िरकार होती क्या है ? तो आज मैं इस लेख में आपको, आपके सभी प्रश्नो के उत्तर ,उदाहरण के साथ सरल शब्दों मैं देने वाला हूँ |
सरल भाषा में क्रिया के बारें (Kriya kya Hoti Hai )में संपूर्ण जानकारी देने वाला हूँ |इसके साथ साथ इस लेख में हम क्रिया के अलग-अलग पड़ावों को भो समझेगें |
आज के इस लेख में हम उदाहरण सहित यह जानेंगे कि
- क्रिया क्या होती है ?
- क्रिया के कितने भेद होते है ?
- क्रिया के भेद कौन-कौन से है ?
- क्रिया का महत्व क्या है?
- क्रिया के कुछ उदाहरण |
क्रिया क्या होती है? क्रिया की परिभाषा | (Kriya Ka Hoti Hai, Kriya Ki Paribhasha)
“जब किसी शब्द या वाक्य से, किसी कार्य के होने या किए जाने का बोध हो, तो उसे क्रिया कहते हैं। क्रिया के मूल रूप को धातु कहा जाता है।”
सरल शब्दों में, जब किसी शब्द या वाक्य से हमें यह पता चले की क्या कार्य हुआ है , तो उसे हम क्रिया कहते हैं। चलिए इसे एक आसान उदाहरण से समझते हैं।
- “राम खाना खा रहा है।” – यहाँ ‘खा रहा है’ क्रिया है, जो यह बताती है कि राम क्या कर रहा है।
- “अमन पढ़ रहा है।” – ‘पढ़ रहा है’ क्रिया है, जो अमन के कार्य को दर्शाती है।
- “सीता गाना गा रही है।” – ‘गा रही है’ क्रिया है।
- “रोहित बाहर घूमने जा रहा है।” – ‘जा रहा है’ क्रिया है।
- “गीता साइकिल चला रही है।” – ‘चला रही है’ क्रिया है।
क्रिया का मूल रूप (धातु)
धातु हिंदी व्याकरण में क्रिया का सबसे मूल रूप होता है। इसे क्रियापद का वह भाग कहा जाता है, जो किसी भी क्रिया के लगभग सभी रूपों में पाया जाता है। जब हम किसी क्रिया के सामान्य रूप (जैसे- आना, जाना, खाना, पढ़ना) से ‘ना’ प्रत्यय हटा देते हैं, तो जो शब्द बचता है, वही उसकी धातु कहलाता है।
उदाहरण:
- पढ़ना → पढ़ (धातु)
- लिखना → लिख (धातु)
- जाना → जा (धातु)
- खाना → खा (धातु)
- देखना → देख (धातु)
क्रियापद : क्रियापद वह शब्द या शब्दों का वह समूह होता है, जो किसी भी वाक्य में किसी कार्य (action ), अवस्था (Situation), या भाव (feelings ) के होने या किए जाने का बोध कराता है। वाक्य में क्रियापद के बिना अर्थ अधूरा रह जाता है, क्योंकि क्रियापद हमें यह बताता है कि कर्ता (subject) क्या कर रहा है या किस स्थिति में है।
क्रिया शब्द के कुछ अन्य उदाहरण इस प्रकार है |
पढ़ना, लिखना, खाना, पीना, खेलना, दौड़ना, सोना, बैठना, गाना, चलना ,टहलना , आना, जाना, कूदना, नाचना, तैरना, उड़ना, हँसना, रोना, बैठना, नहाना इत्यादि |
ये सभी शब्द क्रिया के उदाहरण हैं, क्योंकि इन शब्दों से हमें किसी कार्य के होने या किए जाने का बोध होता है।
क्रिया के भेद एवं प्रकार |
1. कर्म के आधार पर
2.प्रयोग या संरचना के आधार पर:
कर्म के आधार पर क्रिया के दो (या तीन) भेद होते हैं-सकर्मक क्रिया, अकर्मक क्रिया (और द्विकर्मक क्रिया)। प्रयोग के आधार पर क्रिया के दो (या अधिक) भेद होते हैं-संयुक्त क्रिया, नामधातु क्रिया आदि।
तो चलिए इन सभी क्रिया को कुछ उदाहरण के साथ विस्तारपूर्वक समझने की कोशिश करते है की akarmak aur sakarmak kriya kya hoti hai ? सबसे पहले हम सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया के बारे में विस्तार से पढ़ते है |
सकर्मक क्रिया क्या होती है ?
क्या आप जानते हैं सकर्मक क्रिया क्या होती है? (sakarmak kriya kya hoti hai )इस प्रश्न का उत्तर मैं आपको देता हूँ। सकर्मक क्रिया वह क्रिया होती है, जिसके साथ कोई कर्म (जिस पर काम हो रहा है) जरूरी होता है। यानि, जिस क्रिया का असर क्रियाकर्ता (जो काम कर रहा है) पर नहीं, बल्कि किसी दूसरी चीज़ (कर्म) पर पड़ता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। सकर्मक क्रिया का प्रयोजन यह है कि वह किसी कर्म पर अपना प्रभाव डालती है, जिससे वाक्य में कर्म का होना ज़रूरी हो जाता है।
उदाहरण :
- राम ने आम खाया।
- सीता ने पत्र पढ़ा।
- रोहन चाय बनाता है।
- राधा खाना बनाती है।
- रमेश ने खिलौने खरीदे।
- मीरा फल लाती है।
प्रयोजन का अर्थ : जब भी हम कोई काम/कार्य करते हैं, तो उसके पीछे जो वजह या कारण होता है, उसे हम उसका प्रयोजन कहते है |
उदाहरण: “तुम यहाँ क्यों आए हो?”
“मेरा यहाँ आने का प्रयोजन परीक्षा देना है।”
प्रयोजन के अन्य अर्थ:
- उद्देश्य
- मतलब
- जरूरत
- लाभ
- काम
यानी, प्रयोजन किसी भी काम के पीछे छुपा उद्देश्य या कारण होता है।
अकर्मक क्रिया क्या होती है ?
अब हम जानेंगे की अकर्मक क्रिया किसे कहते है(akarmak kriya kya hoti hai) | अकर्मक क्रिया वह क्रिया होती है जिसमे कोई कर्म या वास्तु का उद्देश्य या कारण नहीं होता है | क्रिया का सीधा असर केवल कर्ता पर होता है, या सरल शब्दों में , जिस क्रिया को करने मैं कर्म की आवश्यकता नहीं होती उस क्रिया को अकर्मक क्रिया कहते है |
जैसे :
- रेलगाड़ी चलती है।
- साँप रेंगता है।
- बच्चा रोता है।
- पेड़ बढ़ता है।
- गाडी चलती है |
- पक्षी उड़ता है |
- राम लिखता है |
- हवा चलती है |
इन सभी वाक्यों में क्रिया को कर्म की कोई आवकश्यता नहीं होती है | इसके कुछ अन्य उदाहरण इस प्रकार है जैसे :, हँसना, सोना, रोना, बैठना,दौड़ना, उड़ना, डरना, चमकना, बढ़ना, चमकना आदि।
द्विकर्मक क्रिया क्या होती है ?
वैसे तो सकर्मक क्रिया के मुख्य रूप से दो भाग है परन्तु इसका एक और भाग है जिसे हम द्विकर्मक क्रिया कहते है | द्विकर्मक क्रिया का अर्थ है जिसमे दो क्रियाए हो | द्विकर्मक क्रिया वह क्रिया होती है जिसमे जिसमें एक ही वाक्य में दो कर्म होते है जिसमे एक प्राणीवाचक (living thing ) और दूसरा निर्जीव (non-living thing ) होते है जैसे :
प्राणीवाचक में (राम को, छात्र को, ग्राहक को, रमन को, सीता को , नेहा को )
निर्जीव में (किताब , टेबल , पेन, पेंसिल , वस्तुएँ, दवा)
द्विकर्मक क्रिया के उदाहरण
- डॉक्टर ने मरीज को दवाई दी |
- राम ने नेहा को पुस्तक दी |
संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद जानिए |
वैसे तो संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के कई भेद है परन्तु आज हम इसके दो सबसे महत्वपूर्ण भेदों के बारे में पड़ेंगे |
1.संयुक्त क्रिया
2.नामधातु क्रिया
यह दो क्रिया सबसे महत्वपूर्ण है और इसके कुछ अन्य क्रिया कुछ इस प्रकार है |
- प्रेरणार्थक क्रिया
- पूर्वकालिक क्रिया
- मूल क्रिया
- सहायक क्रिया
- सजातीय क्रिया
- समस्त क्रिया
- सामान्य क्रिया
संयुक्त क्रिया (sanyukt kriya kya hoti hai):
जब किसी एक वाक्य में दो या दो से अधिक शब्द मिलकर उस वाक्य की क्रिया का अर्थ बदल देती है, उसको हम संयुक्त क्रिया कहते हैं। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है :
- वह स्कूल चला गया। (चलना + जाना)
- मोहन ने खाना खा लिया। (खाना + लेना)
- बच्चा रोने लगा। (रोना + लगना)
“मोहन ने खाना खा लिया“-इस वाक्य में “खा” और “लिया” दो क्रियाएँ मिलकर एक संयुक्त क्रिया (खा लिया) बना रही हैं, जिससे हमें यह पता चलता है कि मोहन ने खाना पूरा कर लिया है। इसीलिए इसे संयुक्त क्रिया कहते हैं।
नामधातु क्रिया (Naam Dhatu Kriya Kya Hoti Hai)
संयुक्त क्रिया के बाद हम नामधातु क्रिया के बारे में समझते है | वह क्रिया जो संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण में प्रत्यय (जैसे- ‘ना’, ‘इया’, ‘आना’ आदि) जोड़कर बनाई जाती है, उसे नामधातु क्रिया कहते हैं। वैसे तो क्रियाओं का निर्माण धातु से होता है, लेकिन जब किसी क्रिया का निर्माण धातु के बजाय किसी नाम (संज्ञा), सर्वनाम या विशेषण से किया जाए, तो उसे नामधातु क्रिया कहते हैं |
उदाहरण:
- संज्ञा से:
- बात + ‘इया’ + ‘ना’ = बतियाना
- लात + ‘इया’ + ‘ना’ = लतियाना
- हाथ + ‘इया’ + ‘ना’ = हथियाना
- शर्म + ‘आना’ = शर्माना
- विशेषण से:
- गरम + ‘आना’ = गरमाना
- नरम + ‘आना’ = नरमाना
- साठ + ‘इया’ + ‘ना’ = सठियाना
- सर्वनाम से:
- अपना + ‘ना’ = अपनाना
वाक्य में प्रयोग:
- “रामू जलेबी देखकर ललचा गया।” (लालच → ललचाना)
- “उसने अपनी गलती स्वीकारना पड़ा।” (स्वीकार → स्वीकारना)
- “माफिया उसकी जमीन हथियाना चाहते हैं।” (हाथ → हथियाना)
- चोर पुलिस को देख कर सिसयाने लगे | (सिसयाने लगे-घबराना )
क्रिया का हिंदी भाषा में महत्व क्या है ?
क्रिया हिंदी व्याकरण का सबसे जरूरी हिस्सा है, क्योंकि यह किसी भी वाक्य में कार्य (काम), स्थिति (स्थिति में होना), या किसी गुण (quality) के होने का बोध कराती है। बिना क्रिया के कोई भी वाक्य पूरा नहीं होता। क्रिया के बिना हम यह नहीं जान सकते कि वाक्य में क्या हो रहा है, कौन सा काम हो रहा है या कौन सी अवस्था है|
क्रिया का हिंन्दी व्याकरण में बहुत ज्यादा महत्व है और क्रिया को हिंदी व्याकरण का बोहोत ज़रूरी हिस्सा मन जाता है | हिंदी के सभी वाक्यों में क्रिया का प्रयोग होता है बिना क्रिया के सभी वाक्य अर्थहीन हो जाएंगे | क्रिया किसी भी वाक्यों में कार्य (काम), स्थिति (स्थिति में होना), या किसी गुण (quality) के होने का बोध कराती है। बिना क्रिया के हम वाक्यों को पढ़ कर यह नहीं बता सकते की वाक्य में क्या हो रहा है, कौन सा काम हो रहा है या कौन सी अवस्था है| इसको और आसानी से एक उदाहरण की सहायता से समझते है |
भाषा में क्रिया की आवश्यकता
वाक्य को अर्थपूर्ण बनाती है: क्रिया के बिना वाक्य अधूरा और अर्थहीन रह जाता है। जैसे –
“राजू स्कूल…” (यह एक अधूरा वाक्य और अर्थहीन वाक्य है )
“राजू स्कूल जाता है।” (पूरा वाक्य, जिसमें ‘जाता है’ क्रिया है)।
कार्य या अवस्था का बोध: क्रिया से ही पता चलता है कि कौन सा कार्य हो रहा है या कौन सी स्थिति है।
“सीता गा रही है।” – यहाँ ‘गा रही है’ क्रिया है, जिससे कार्य का बोध हो रहा है|
F&Q
क्रिया क्या होती है?
क्रिया वह शब्द है जो किसी कार्य, अवस्था या होने की क्रिया को दर्शाता है, जैसे- खाना, पीना, सोना।
क्रिया के कितने भेद एवं प्रकार होते हैं?
क्रिया के मुख्यतः दो आधार पर भेद होते हैं:
1. कर्म के आधार पर: सकर्मक, अकर्मक, द्विकर्मक
2. प्रयोग/संरचना के आधार पर: संयुक्त क्रिया, नामधातु क्रिया आदि।
क्रिया के कौन-कौन से प्रकार होते हैं?
मुख्य प्रकार हैं:
1. सकर्मक क्रिया
2. अकर्मक क्रिया
3. द्विकर्मक क्रिया
4. संयुक्त क्रिया
5. नामधातु क्रिया
संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के कितने भेद होते हैं?
संरचना या प्रयोग के आधार पर मुख्यतः दो भेद होते हैं:
1. संयुक्त क्रिया (Composite Verb)
2. नामधातु क्रिया (Noun-derived Verb)
अकर्मक क्रिया के उदाहरण कौन-कौन से हैं?
1. वह बहुत तेज दौड़ता है।
2. बच्चा खेलता है।
3. गीता गाती है।
4. श्याम हँसता है।
5. लड़का सोता है।
6. सूरज निकला।
7. राम जाता है।
क्रिया के उदाहरण दीजिए:
खाता है, खेलता है, गाता है, पढ़ता है, दौड़ता है, सोता है, बनाता है, लिखता है, देखता है, हँसता है।
सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं?
जिस क्रिया के साथ कर्म (object) का होना आवश्यक हो, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे- “राम खाना खाता है” में ‘खाता है’ सकर्मक क्रिया है, क्योंकि ‘खाना’ कर्म है।
20 क्रिया के शब्द बताइये |
खाना, पीना, सोना, खेलना, पढ़ना, लिखना, दौड़ना, गाना, बनाना, देखना, सुनना, हँसना, बोलना, बैठना, उठना, चलना, नाचना, गिरना, लाना, देना

