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हिंदी वर्णमाला क्या है? पूरी जानकारी
अगर आप हिंदी भाषा सीखना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको हिंदी वर्णमाला को समझना और याद करना जरूरी है। इस लेख में हम जानेंगे कि हिंदी वर्णमाला क्या होती है, इसमें कितने स्वर और व्यंजन होते हैं, और इसका महत्व क्या है। कृपया लेख को अंत तक पढ़ें ताकि आपको हिंदी वर्णमाला की पूरी जानकारी मिल सके।
भारत में हिंदी भाषा का महत्व
जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत विविधताओं का देश है जहाँ कई भाषाएँ बोली जाती हैं। हिंदी भाषा उन सभी भाषाओं में सबसे अधिक बोली जाने वाली और लोकप्रिय भाषा है। हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है, जो इसकी पहचान, अभिव्यक्ति और स्पष्टता का आधार है। किसी भी भाषा की लिपि और वर्णमाला उसका मूल आधार होती है।
हिंदी वर्णमाला की परिभाषा
वर्णमाला शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – “वर्ण” और “माला”। इसका सीधा अर्थ है “वर्णों की माला” या “वर्णों की श्रृंखला”। हिंदी भाषा में ध्वनि की सबसे छोटी इकाई को “वर्ण” कहा जाता है।
परिभाषा:
“ध्वनि या वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं।”
वर्णमाला का महत्त्व
किसी भी भाषा की मूलभत इकाई वर्णमाला होती है | वर्णमाला सभी अक्षरों का एक क्रमबद्ध समूह होता है | हमारी हिंदी भाषा में वर्णमाला का विशेष महत्त्व है जो की इस प्रकार है :
- वर्णमाला को भाषा की नींव का दर्जा मिला है क्योकि जैसे किसी स्कूल ,इमारत , हॉस्टिपल आदि को खड़ा करने के लिए ईंटें जरूरी होती हैं, ठीक उसी प्रकार भाषा को समझने और व्यक्त करने के लिए वर्णमाला की ज़रूरत होती है ।
- शब्द और वाक्य निर्माण में वर्णमाला की अहम् भूमिका होती है | अक्षरों का समूह से शब्द का निर्माण होता है और शब्दों से वाक्य का निर्माण होता है । वाक्यों एवं शब्दों की सहायता से हम अपनी भावनाएँ, विचार और ज्ञान को दूसरों तक पहुंचा पाते है |
- बचपन में जब हम बोलना और पढ़ना सीखते हैं, तो सबसे पहले वर्णमाला से ही शुरुआत होती है। यह भाषा की पहली सीढ़ी है। अगर वर्णमाला की सही पहचान नहीं होगी, तो हम न तो ठीक से पढ़ पाएँगे, न लिख पाएँगे।
- हर भाषा की अपनी वर्णमाला होती है, जिससे उसकी पहचान बनती है। हिंदी की ‘अ’ से लेकर ‘ज्ञ’ तक की वर्णमाला हमारे सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास का आधार है।
- इसलिए, वर्णमाला का अध्ययन न केवल भाषा सीखने के लिए, बल्कि सोचने, समझने और सटीक रूप से अभिव्यक्त करने के लिए भी बहुत जरूरी है।.
हिंदी वर्णमाला के प्रकार | Types of hindi alphabets
अब हम हिंदी इस अध्याय में आगे बढ़ते है और जानते है की हिंदी व्याकरण में हिंदी वर्णमाला को कितने भागो में बाटा गया है |
हिंदी व्याकरण में हिंदी वर्णमाला को मुख्य रूप से दो भागो में बाटा गया है :
- स्वर
- व्यंजन (Vyanjan)
स्वर किसे कहते है ?
स्वर : स्वर वे वर्ण होते हैं, जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है, अर्थात् इन्हें बोलने के लिए किसी अन्य वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती। जब हम मुँह खोलकर बिना किसी अवरोध के ध्वनि निकालते हैं, तो वह स्वर कहलाती है।
हिंदी वर्णमाला में स्वर और व्यंजन
- स्वर: हिंदी वर्णमाला में कुल 11 स्वर होते हैं।
- व्यंजन: हिंदी वर्णमाला में कुल 33 व्यंजन होते हैं।
हिंदी वर्णमाला में सम्मिलित 11 स्वर इस प्रकार है |
- अ, आ, ई, ई, उ, ऊ, र, ए, ऐ, ओ, औ स्वर हैं।
- ऋ, ऌ और ॡ स्वर को हिंदी वर्णमाला में शामिल नहीं किया गया है।
- अ
- आ – ा
- इ – ि
- ई – ी
- उ – ु
- ऊ – ू
- ऋ – ृ
- ए – े
- ऐ – ैै
- ओ – ो
- औ – ौ
हिंदी वर्णमाला में मात्रा के आधार पर स्वरों की संख्या
हिंदी वर्णमाला में कुल 11 स्वर माने जाते हैं:
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ | लेकिन मात्रा के आधार पर स्वरों की संख्या 10 मानी जाती है।
कारण:
- “अ” स्वर के लिए कोई मात्रा चिह्न नहीं होता।
- बाकी सभी स्वरों के लिए मात्रा चिह्न होते हैं।
स्वर और उनकी मात्राएँ
| स्वर | मात्रा का चिह्न |
| अ | (मात्रा नहीं) |
| आ | ा |
| इ | ि |
| ई | ी |
| उ | ु |
| ऊ | ू |
| ऋ | ृ |
| ए | े |
| ऐ | ै |
| ओ | ो |
| औ | ौ |
स्वर के प्रकार (vovels )
उच्चारण के आधार पर स्वर के तीन भेद होते है | जो की इस प्रकार है |
- ह्रस्व स्वर:
- दीर्घ स्वर :
- प्लुत स्वर:
ह्रस्व स्वर (Hrasva Swar):
- जिन स्वरों के उच्चारण में सबसे कम समय (एक मात्रा) लगता है, उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं।
- हिंदी में मुख्य ह्रस्व स्वर हैं: अ, इ, उ, ऋ।
- इन्हें छोटे स्वर या एकमात्रिक स्वर भी कहा जाता है।
दीर्घ स्वर (Deergh Swar):
- जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगुना समय (दो मात्राएँ) लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।।
- हिंदी में दीर्घ स्वर हैं: आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
- इन्हें बड़े स्वर या द्विमात्रिक स्वर भी कहा जाता है।
प्लुत स्वर (Plut Swar):
- जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वरों से भी अधिक (तीन या उससे अधिक मात्राएँ) समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं।
- इनका प्रयोग प्रायः किसी को दूर से पुकारने या विशेष बल देने के लिए किया जाता है, जैसे: राऽऽम, ओऽम्।
- प्लुत स्वर को लिखते समय स्वर के ऊपर या बगल में ‘३’ अंक लगाया जाता है, जैसे: ओ३म्।
- हिंदी में प्लुत स्वर का सामान्य प्रयोग नहीं होता, यह मुख्यतः संस्कृत और वैदिक भाषा में मिलता है|
स्वर का वर्गीकरण (Vowels classification)
हिंदी व्याकरण ने स्वरों का वर्गीकरण कुछ इस प्रकार से किया गया है :
उच्चारण स्थान (प्रयत्न) के आधार पर:
| भेद | विवरण | उदाहरण |
| अग्र स्वर | जिनके उच्चारण में जीभ का अगला भाग सक्रिय रहता है। | इ, ई, ए, ऐ |
| मध्य स्वर | जिनके उच्चारण में जीभ का मध्य भाग सक्रिय रहता है। | अ |
| पश्च स्वर | जिनके उच्चारण में जीभ का पिछला भाग सक्रिय रहता है। | आ, उ, ऊ, ओ, औ |
जिह्वा की ऊँचाई के आधार पर:
- विवृत स्वर: आ
- अर्द्ध विवृत स्वर: ऐ, औ
- अर्द्ध संवृत स्वर: ए, ओ
- संवृत स्वर: इ, ई, उ, ऊ
ओष्ठों (होठों) की स्थिति के आधार पर:
- प्रसृत स्वर: इ, ई, ए, ऐ
- वर्तुल स्वर: उ, ऊ, ओ, औ
- अर्धवर्तुल स्वर: आ
अन्य आधार:
कुछ स्थानों पर स्वरों का वर्गीकरण जिह्वा पेशियों के तनाव, कोमल तालु, स्वरतंत्रिय आदि के आधार पर भी किया जाता है
व्यंजन किसे कहते है ?
वह वर्ण जिनके के उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता आवश्यक हो जाती है उन वर्णो की व्यंजन वर्ण कहते है | बिना स्वरों की सहायता से हम वर्णो का उच्चारण नहीं कर सकते है |
उदाहरण: क, ख, ग, घ, च, छ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह आदि।
हिंदी व्याकरण में कुल 33 प्रकार के व्यंजन है जो की इस प्रकार है |
- क, ख, ग, घ, ङ
- च, छ, ज, झ, ञ
- ट, ठ, ड, ढ, ण
- त, थ, द, ध, न
- प, फ, ब, भ, म
- य, र, ल, व
- श, ष, स, ह
व्यंजन के प्रकार | Types of consonants
हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnmala/) में व्यंजन के 3 प्रकार के होते हैं जो की इस प्रकार है :
- स्पर्श व्यंजन
- अन्तस्थ व्यंजन
- ऊष्म व्यंजन
अब हम इन तीनो प्रकार के व्यंजन को कुछ उदाहरण की सहायता से समझते है |
- स्पर्श व्यंजन: “वे व्यंजन जिनके उच्चारण के समय फेफड़ों से निकली हुई हवा मुख के किसी विशेष स्थान (जैसे-कंठ, तालु, मूर्धा, दंत, ओष्ठ) को स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं।”
इन व्यंजनों के उच्चारण में मुख के किसी भाग का स्पर्श अवश्य होता है।
इन्हें वर्गीय व्यंजन भी कहा जाता है।
| स्पर्श व्यंजन | क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म |
- अन्तस्थ व्यंजन: अन्तस्थ व्यंजन वे होते हैं जिनका उच्चारण स्वर और व्यंजन के बीच (मध्य) में होता है, अर्थात् ये वर्णमाला में स्वरों और व्यंजनों के बीच स्थित होते हैं|
| अन्तस्थ व्यंजन | य, र, ल, व |
- ऊष्म व्यंजन:जिन व्यंजनों के उच्चारण करते समय हवा मुख में घिसटती हुई महसूस होती है, उन व्यंजन को उष्म व्यंजन कहते है।
| ऊष्म व्यंजन | श, ष, स, ह |
व्यंजन का वर्गीकरण उच्चारण स्थान के आधार पर
| उच्चारण स्थान | व्यंजन वर्ण | विवरण |
| कंठ्य | क, ख, ग, घ, ङ | गले (कंठ) से उच्चरित |
| तालव्य | च, छ, ज, झ, ञ, य, श | तालु (मुँह का ऊपरी भाग) |
| मूर्धन्य | ट, ठ, ड, ढ, ण, र, ष, ड़, ढ़ | मूर्धा (तालु का मध्य भाग) |
| दन्त्य | त, थ, द, ध, न, ल, स | दाँतों से उच्चरित |
| ओष्ठ्य/द्वयोष्ठ्य | प, फ, ब, भ, म | दोनों ओठों से उच्चरित |
| दन्त्योष्ठ्य | व, फ़ | ऊपर के दाँत और नीचे के ओठ से |
| काकलीय | ह | कंठ के नीचे से |
| अलिजिह्वीय | क़ | जीभ की जड़ से |
| वर्त्स्य | ज़, ळ, स, न | मसूड़े/दाँतों के पास |
FAQ
वर्णमाला किसे कहते हैं?
वर्णों के व्यवस्थित और क्रमबद समूह को वर्णमाला कहते हैं।
हिंदी वर्णमाला में कुल कितने स्वर होते हैं?
हिंदी वर्णमाला में कुल 11 स्वर होते हैं – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
हिंदी वर्णमाला में व्यंजन की परिभाषा क्या है?
जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है, वे व्यंजन कहलाते हैं। जैसे – क, ख, ग, घ आदि।
हिंदी वर्णमाला में भाषा की सबसे छोटी इकाई क्या है?
हिंदी वर्णमाला में भाषा की सबसे छोटी इकाई क्या है?
हिंदी वर्णमाला में ह्रस्व और दीर्घ स्वर क्या होते हैं?
जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है, वे ह्रस्व स्वर (अ, इ, उ, ऋ) कहलाते हैं। जिन स्वरों के उच्चारण में अधिक समय लगता है, वे दीर्घ स्वर (आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ) कहलाते हैं।

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